Gita Govinda -Jayadeva 33

Gita Govinda -Shri Jayadeva Gosvami

Act One : sämoda dämodaraù

The Delighted Captive of Love

Scene One

Song 1

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तव करकमलवरे नखमद्भुतश्रृंगम्।
दलितहिरण्यकशिपु-तनुभृंगम्‌।
केशव धृत-नरहरिरूप
जय जगदीश हरे ॥8॥

छलयसि विक्रमणे बलिमद्भुतवामन
पद-नख-नीर-जनितजनपावन।
केशव धृत-वामनरूप
जय जगदीश हरे ॥9॥

क्षत्रिय-रुधिरमये जगदपगत-पापम्
स्नपयसि पयसि शमित-भवतापम्।
केशव धृत-भृगुपतिरूप
जय जगदीश हरे ॥10॥

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References and Context