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- अमल-कमल-दललोचन! भव मोचन।
- त्रिभुवन भवन-निधान!
- जय जय देव हरे ॥21॥
- जनक-सुता-कृत-भूषण! जितदूषण!
- समर-शमित-दशकण्ठ!
- जय जय देव हरे ॥22॥
- अभिनव-जलधर-सुन्दर! धृतमन्दर!
- श्रीमुखचन्द्र-चकोर!
- जय जय देव हरे ॥23॥
- तव चरणे प्रणता वयम् इति भावय।
- कुरु कुशलं प्रणतेषु,
- जय जय देव हरे ॥24॥
- श्रीजयदेवकवेरिदं कुरुते मुदम्।
- मंगलमुज्ज्वलगीतम्
- जय जय देव हरे ॥25॥
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