विगलित-लज्जित-जगदवलोकन-तरुण-करुण-कृतहासे।
विरही-निकृन्तन-कुन्त-मुखाकृति-केतकि-दन्तुरिताशे
विहरति हरिरिह सरस वसन्ते.... 32
माधविका-परिमल-ललिते नवमालिकयातिसुगन्धौ।
मुनि-मनसामपि मोहन-कारिणि तरुणाकारणबन्धौ
विहरति हरिरिह सरस वसन्ते.... 33
स्फुरदतिमुक्तालता-परिरम्भण-पुलकित-मुकुलित चूते।
वृन्दावन-विपिने परिसर-परिगत-यमुनाजलपूते
विहरति हरिरिह सरस वसन्ते.... 34
श्रीजयदेव-भणितमिदमुदयतु हरिचरणस्मृतिसारं ।
सरस-वसन्त-समय वनवर्णनमनुगत मदन-विकारम्र
विहरति हरिरिह सरस वसन्ते.... 35