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- श्रितकमलाकुच मण्डल! धृत-कुण्डल!
- कलित-ललित-वनमाल!
- जय जय देव हरे ॥17॥ ध्रुवम्॥
- दिनमणि-मण्डल-मण्डन! भवखण्डन!
- मुनिजन-मानस-हंस!
- जय जय देव हरे ॥18॥
- कालिय-विषधर-गञ्जन! जनरञजन!
- यदुकुल-नलिन-दिनेश!
- जय जय देव हरे ॥19॥
- मधु-मुर-नरक-विनाशन! गरुड़ासन!
- सुरकुल-केलि-निदान!
- जय जय देव हरे ॥20॥
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