Gita 6:38

Gita Chapter-6 Verse-38

प्रसंग-


इस प्रकार शंका उपस्थित करके, अब अर्जुन[1] उसकी निवृत्ति के लिये भगवान् से प्रार्थना करते हैं-


कच्चिन्नोभयविभ्रष्टश्छिन्नाभ्रमिव नश्यति ।
अप्रतिष्ठो महाबाहो विमूढो ब्रह्राण: पथि ।।38।।



हे महाबाहो ! क्या वह भगवत्प्राप्ति के मार्ग में मोहित और आश्रयरहित पुरुष छिन्न-भिन्न बादल की भाँति दोनों ओर से भ्रष्ट होकर नष्ट तो नहीं हो जाता है ? ।।38।।

Krishna, strayed from the path leading to God-realization and heavenly enjoyment ? (38)




Verses- Chapter-6

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References and context

  1. Mahabharata के मुख्य पात्र है। वे पाण्डु एवं कुन्ती के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। द्रौपदी को स्वयंवर में भी उन्होंने ही जीता था।