इस प्रकार तत्व ज्ञान में सहायक सात्त्विक भाव कों ग्रहण कराने के लिये और उसके विरोधी राजस-तामस भावों का त्याग कराने के लिये कर्म-प्रेरणा और कर्मसंग्रह में से ज्ञान, कर्म और कर्ता के सात्त्विक आदि तीन-तीन भेद क्रम से बतलाकर अब बुद्धि और धृति सात्त्विक, राजस, और तामस- इस प्रकार त्रिविध भेद क्रमश: बतलाने की प्रस्तावना करते हैं-
हे धनंजय[1] ! अब तू बुद्धि का और धृति का भी गुणों के अनुसार तीन प्रकार का भेद मेरे द्वारा सम्पूर्णता से विभागपूर्वक कहा जाने वाला सुन ।।29।।
Now, O winner of wealth, please listen as I tell you in detail of the three kinds of understanding and determination according to the three modes of nature.(29)