इस प्रकार सन्न्यास (ज्ञानयोग) का तत्त्व समझाने के लिये आत्मा के अकर्तापन का प्रतिपादन करके अब उसके अनुसार कर्म के अंग-प्रत्यंगों को भली-भाँति समझाने के लिये कर्म-प्रेरणा और कर्मसंग्रह का प्रतिपादन करते है-
ज्ञाता, ज्ञान और ज्ञेय-यह तीन प्रकार की कर्म-प्रेरणा है और कर्ता, करण तथा क्रिया-यह तीन प्रकार का कर्म-संग्रह है ।18।।
The knower, knowledge and the object of knowledge— these three motivate action. Even so the doer, the organs and activity— these are the three constituents of action.(18)