सूत और सूत के मणियों के दृष्टान्त से भगवान् ने अपनी सर्वरूपता और सर्वव्यापकता सिद्ध की। अब भगवान् अगले चार श्लोकों द्वारा इसी को भली-भाँति स्पष्ट करने के लिये उन प्रधान-प्रधान सभी वस्तुओं के नाम लेते हैं, जिनसे इस विश्व की स्थिति है; और सार रूप से उन सभी को अपने से ही ओतप्रोत बतलाते हैं-