Gita 2:4

Gita Chapter-2 Verse-4

कथं भीष्ममहं संख्ये द्रोण च मधुसूदन ।
इषुभि: प्रतियोत्स्यामि पूजार्हावरिसूदन ।।4।।



अर्जुन[1] बोले-


हे मधुसूदन[2] ! मैं रणभूमि में किस प्रकार वाणों से भीष्म[3] पितामह और द्रोणाचार्य[4] के विरुद्ध लडूंगा? क्योंकि हे अरसूदन ! वे दोनों ही पूजनीय हैं ।।4।।

Arjuna said:


O killer of Madhu [Krishna], how can I counterattack with arrows in battle men like Bhisma and Drona, who are worthy of my worship? (4)




Verses- Chapter-2

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References and context

  1. Mahabharata के मुख्य पात्र है। वे पाण्डु एवं कुन्ती के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। द्रौपदी को स्वयंवर में भी उन्होंने ही जीता था।
  2. मधुसूदन, केशव, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है।
  3. भीष्म Mahabharata के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। ये महाराजा शांतनु के पुत्र थे। अपने पिता को दिये गये वचन के कारण इन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था। इन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था।
  4. द्रोणाचार्य कौरव और पांडवों के गुरु थे। कौरवों और पांडवों ने द्रोणाचार्य के आश्रम में ही अस्त्रों और शस्त्रों की शिक्षा पायी थी। अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे।