Gita 18:65

Gita Chapter-18 Verse-65

प्रसंग-


पूर्व श्लोक में जिस सर्वगुह्रातम बात को कहने की भगवान् ने प्रतिज्ञा की, उसे अब कहते हैं-


मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु ।
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे ।।65।।



हे अर्जुन[1] ! तू मुझमें मन वाला हो, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन करने वाला हो और मुझको प्रणाम कर। ऐसा करने से तू मुझे ही प्राप्त होगा, यह मैं तुझसे सत्य प्रतिज्ञा करता हूँ; क्योंकि तू मेरा अत्यन्त प्रिय है ।।65।।

O Arjuna, give your mind to Me, be devoted to Me, worship Me and bow to Me. Doing so you will come to Me alone, I truly promise you; for you are exceptionally dear to Me.(65)




Verses- Chapter-18

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References and context

  1. Mahabharata के मुख्य पात्र है। वे पाण्डु एवं कुन्ती के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। द्रौपदी को स्वयंवर में भी उन्होंने ही जीता था।