Gita 18:64

Gita Chapter-18 Verse-64

प्रसंग-


सबके हृदय की बात जानने वाले अन्तर्यामी भगवान् स्वयं ही अर्जुन[1] पर दया करके उसे समस्त Gita के उपदेश का सार बतलाने का विचार करके कहने लगे-


सर्वगुह्रातमं भूय: श्रृणु मे परमं वच: ।
इष्टोऽसि मे दृढमिति ततो वक्ष्यामि ते हितम् ।।64।।



सम्पूर्ण गोपनीयों से अति गोपनीय मेरे परम रहस्य युक्त वचन को तू फिर भी सुन तू मेरा अतिशय प्रिय है, इससे यह परम हितकारक वचन मैं तुझसे कहूँगा ।।64।।

Hear, again, My supremely secret word, the most esoteric of all truths. You are extremely dear to Me; therefore, I shall offer you this salutary advice. (64)




Verses- Chapter-18

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References and context

  1. Mahabharata के मुख्य पात्र है। वे पाण्डु एवं कुन्ती के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। द्रौपदी को स्वयंवर में भी उन्होंने ही जीता था।