Gita 14:9

Gita Chapter-14 Verse-9

प्रसंग-


इस प्रकार सत्व, रज और तम- इन तीनों गुणों के स्वरूप का और उनके द्वारा जीवात्मा के बाँधे जाने का प्रकार बतलाकर अब उन तीन गुणों का स्वाभाविक व्यापार बतलाते हैं-


सत्त्वं सुखे संजयति रज: कर्मणि भारत ।
ज्ञानमावृत्य तु तम: प्रमादे संजयत्युत ।।9।।



हे अर्जुन[1] ! सत्त्वगुण सुख में लगाता है और रजोगुण कर्म में, तथा तमोगुण तो ज्ञान को ढककर प्रमाद में भी लगाता है ।।9।।

Sattava drives one to joy, and rajas to action; while tamas, clouding wisdom, incites one to errer as well as sleep and sloth. (9)




Verses- Chapter-14

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27

Chapter
One (1) | Two (2) | Three (3) | Four (4) | Five (5) | Six (6) | Seven (7) | Eight (8) | Nine (9) | Ten (10) | Eleven (11) | Twelve (12) | Thirteen (13) | Fourteen (14) | Fifteen (15) | Sixteen (16) | Seventeen (17) | Eighteen (18)

References and context

  1. Mahabharata के मुख्य पात्र है। वे पाण्डु एवं कुन्ती के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। द्रौपदी को स्वयंवर में भी उन्होंने ही जीता था।