Gita Chapter-10 Verse-39 यच्चापि सर्वभूतानां बीजं तदहमर्जुन । न तदस्ति विना यत्स्यान्मया भूतं चराचरम् ।।39।। और हे अर्जुन[1] ! जो सब भूतों की उत्पत्ति का कारण है, वह भी मैं ही हूँ; क्योंकि ऐसा चर और अचर कोई भी भूत नहीं है, जो मुझसे रहित हो ।।39।। Arjuna, I am even that which is the seed of all life. For there is no creature, moving or inert, which exists without Me. (39) <= Prev | Next => अध्याय दस श्लोक संख्या Verses- Chapter-10 1 | 2 | 3 | 4, 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 Chapter One (1) | Two (2) | Three (3) | Four (4) | Five (5) | Six (6) | Seven (7) | Eight (8) | Nine (9) | Ten (10) | Eleven (11) | Twelve (12) | Thirteen (13) | Fourteen (14) | Fifteen (15) | Sixteen (16) | Seventeen (17) | Eighteen (18) References and context ↑ Mahabharata के मुख्य पात्र है। वे पाण्डु एवं कुन्ती के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। द्रौपदी को स्वयंवर में भी उन्होंने ही जीता था। और पढ़ें12>» Categories: GitaMahabharata