Gita Govinda -Jayadeva 103

Gita Govinda -Shri Jayadeva Gosvami

Act One : sämoda dämodaraù

The Delighted Captive of Love

Song 4

Scene Four

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The musical mode is rämakaré r räga and the rhythm is yati täla.

चन्दन-चर्चित-नील-कलेवर पीतवसन-वनमाली
केलिचलन्मणि-कुण्डल-मण्डित-गण्डयुग-स्मितशाली
हरिरिह-मुग्ध-वधुनिकरे
विलासिनी विलसति केलिपरे ॥40॥ ध्रुवम्र॥

पीन-पयोधर-भार-भरेण हरिं परिरभ्य सरागं।
गोपवधूरनुगायति काचिदुदञचित-पञचम-रागम्र
[हरिरिह-मुग्ध-वधुनिकरे... ॥41॥]

कापि विलास-विलोल-विलोचन-खेलन-जनित-मनोजं।
ध्यायति मुग्धवधूरधिकं मधुसूदन-वदन-सरोजम्
[हरिरिह-मुग्ध-वधुनिकरे... ॥42॥]

कापि कपोलतले मिलिता लपितुं किमपि श्रुतिमूले।
चारु चुचुम्ब नितम्बवती दयितं पुलकैरनुकूले
[हरिरिह-मुग्ध-वधुनिकरे... ॥43॥]

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References and Context