Gita 1:41

Gita Chapter-1 Verse-41

प्रसंग-


वर्णसंकर सन्तान के उत्पन्न होने से क्या-क्या हानियाँ होती हैं, अर्जुन[1] अब उन्हें बतलाते है-


अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रिय:।
स्त्रीषु दुष्टासु वार्ष्णेय जायते वर्णसंकर: ।।41।।



हे श्रीकृष्ण[2] ! पाप के अधिक बढ जाने से कुल की स्त्रियाँ अत्यन्त दूषित हो जाती हैं और हे वार्ष्णेय[3] ! स्त्रियों के दूषित हो जाने पर वर्णसंकर उत्पन्न होता है ।।41।।

With the preponderance of vice, Krishna, the women of the family become corrupt, and with the corruption of women, o descendant of vrsni, there ensues an intermixture of castes.(41)




Verses- Chapter-1

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Chapter
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References and context

  1. Mahabharata के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वह द्रोणाचार्य का सबसे प्रिय शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला भी वही था।
  2. 'Gita' कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है।
  3. मधुसूदन, केशव, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है।