तीन प्रकार के तपों का लक्षण करके अब दान के तीन भेद बतलाने के लिये पहले सात्त्विक दान के लक्षण कहते हैं-
दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे । देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम् ।।20।
दान देना ही कर्तव्य है- ऐसे भाव से जो दान देश-काल और पात्र के प्राप्त होने पर उपकार न करने वाले के प्रति दिया जाता है, वह दान सात्त्विक कहा गया है ।।20।।
That gift which is given out of duty, at the proper time and place, to a worthy person, and without expectation of return, is considered to be charity in the mode of Sattvika.(20)